Thursday, April 22, 2010

न हो उदास , हौसलों की उड़ान अभी बाकी है,
न हो निराश , पैरों में जान अभी बाकी है।

न दे गर साथ कोई, बुझ जाए आस कोई ,
अपने हो चले पराये, भरोसा न पास कोई,
न हो हताश ,सच की शान अभी बाकी है.

2 comments:

  1. very good. bharti ji aapki poem padkar bahut achcha laga.

    Thanks
    kp singh
    new delhi

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  2. bahut bahut dhanyavad bhartiji.

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