Wednesday, July 28, 2010

kavita

प्रेम है एक मासूम अहसास
- भारती पंडित

प्रेम है एक कोमल सी छुअन
जो बादल सी घुमड़ती है पल-पल
जो झरने सी झरती है झर-झर
जो बूँदों सी बरसती है झम-झम
या पायल सी खनकती है छम-छम।

प्रेम है एक मासूम अहसास
जो छुपा है सृष्टि के हर मन में
चँदा और बदली के आलिंगन में
धरती और गगन के मिलन में
या वृक्ष पर लता के आरोहण में।

प्रेम है एक शाश्वत सत्य
जो जीवन को देता है संबल
मन में जगाए विश्वास हर पल
जो हम फैलाए स्नेह का आँचल
तो ये धरती क्यों ना बने स्वर्ग-तल।

Wednesday, July 7, 2010

geet

हौसला उम्मीदों का

दिखता न हो जब किनारा कोई, मिलता न हो जब सहारा कोई
जला ले दीया खुद ही की रोशनी का ,कोई तुझसे बढ़कर सितारा नहीं

तूफां तो आए है आते रहेंगे, ग़मों के अँधेरे भी छाते रहेंगे,
आगाज़ कर रोशनी का कि तुझको , अंधेरों की महफ़िल गंवारा नहीं.

माना कि ये इतना आसां नहीं है, मगर सम्हले गिर के जो इन्सां वहीं है,
तारीके शब में उम्मीदों का परचम , कहीं इससे बेहतर नज़ारा नहीं .
भारती पंडित