जीवन उम्मीदों का प्यारा सा गाँव है |
कभी धूप ग़म की है, कभी सुख की छाँव है ||
खेता जा पतवारें, क्यों माँझी तू हारे |
कभी घिरती भँवर में, कभी तीरे नाव है ||
सोच-समझ चलता जा चालें शतरंज की |
कभी शह है हिस्से में, कभी उलट दाँव है ||
हर डगर हो आसान , ऐसा हुआ है कब |
कभी फूल राहों में, कभी शूल पाँव हैं ||
No comments:
Post a Comment