Sunday, May 15, 2011

लघुकथा

अगला जन्म


सड़क के किनारे बनी मजदूर बस्ती में वह अपने टूटे-फूटे झोंपड़े में बच्चों को बहला रही थी| भोजन के नाम पर बर्तन में चावल के चंद दाने थे | सोचती थी बातों के बहलाव-फुसलाव के साथ परोसे गए चावल उनका पेट भरने में कामयाब हो जाएंगे | इतने में बड़ा बेटा बोला ," माँ , क्या अगला जन्म भी होता है?"

वह बोली ,"हाँ बेटा , सुना तो है , क्यों ?

बेटा बोला ," फिर तो मैं भगवान से प्रार्थना करूंगा की अगले जन्म में मुझे इंसान नहीं, सामने वाले बंगले का कुत्ता बनाना | पता है माँ , वह कुत्ता रोज़ दूध-बिस्कुट, अंडे-ब्रेड-मांस खाता है | रोज़ महंगे शैम्पू से नहाता है और कार में भी घूमता है | और तो और बीमार पड़ जाने पर डॉक्टर उसे खुद देखने आते हैं | कुत्ता होकर कैसी ठाठ की जिन्दगी है न उसकी ?"

उसकी आँखे फटी की फटी रहा गई थी | कानों में बच्चे के शब्द भांय-भांय कर रहे थे| उसे लगा मानो सामने बैठा बच्चा अचानक कुत्ते की शक्ल का हो गया और भौं-भौं करता हुआ सामने वाले बंगले में घुस गया |

भारती पंडित

इंदौर


1 comment:

  1. Bahut sunder laghu katha hai bahut hi satik avam sajeev prasangik chitran kiya hai aapne eas laghu katha mai..vaise mai to likhata nahi hun..per pathan ka shauk hai mujhe..haan mari patni Megha..jarur time mila to kuch thoda bahut likh leti hai..Bahut accha lekhan hai aapka Bharti ji.meri aapko bahut bahut shubhkamnayen...thx for sharing..such a nice story...
    SANJAY JOSHI...9425300460.,joshi.sanjay49@gmail.com .Bhopal

    ReplyDelete