Wednesday, July 17, 2013




   अगला जन्म 
सड़क के किनारे बनी मजदूर बस्ती में वह अपने टूटे-फूटे झोंपड़े में बच्चों को बहला रही थी| भोजन के नाम पर बर्तन में चावल के चंद दाने थे | सोचती  थी बातों के बहलाव-फुसलाव के साथ परोसे गए चावल उनका पेट भरने में कामयाब हो जाएंगे | इतने में बड़ा बेटा बोला ," माँ , क्या अगला जन्म भी होता है?" 
वह बोली ,"हाँ बेटा , सुना तो है , क्यों ?
बेटा बोला ," फिर तो मैं भगवान से प्रार्थना करूंगा की अगले जन्म में मुझे इंसान नहीं, सामने वाले बंगले का कुत्ता बनाना | पता है माँ , वह कुत्ता रोज़ दूध-बिस्कुट, अंडे-ब्रेड-मांस  खाता है | रोज़ महंगे शैम्पू से नहाता है और कार में भी घूमता है | और तो और बीमार पड़ जाने पर डॉक्टर उसे खुद देखने आते हैं | कुत्ता होकर कैसी ठाठ की जिन्दगी  है न उसकी ?"
उसकी आँखे फटी की फटी रहा गई थी | कानों में बच्चे के शब्द  भांय-भांय कर रहे थे| उसे लगा मानो सामने बैठा बच्चा अचानक कुत्ते की शक्ल का हो गया और भौं-भौं करता हुआ सामने वाले बंगले में घुस गया |


1 comment:

  1. सरकार की गलत नितीयों के कारण ही आज अधिकतर बच्चों की यही मनोदशा है. बहुत मार्मिक लिखा.

    रामराम.

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