चार दिनों से घर का नल लीक कर रहा है,प्लंबर के निहोरे कर-करके परेशान हूँ मगर वह है कि जबरदस्त भाव खा रहा है, खाए भी क्यों नहीं, पूरी कॉलोनी में अकेला ही है वह जो यह काम करता है..आजकल कोई भी पुश्तैनी काम जारी नहीं रखना चाहता, उसने भी आपने बेटे को बड़े स्कूल में डाला है, अफसर बनाने को..जरा कल्पना करें अगले २० वर्ष बाद की जब सामने खड़ी होगी अफसरों की भीड़ और न तो कारीगर मिलेगा, न प्लंबर..न बढई..न लोहार..क्या इनके न रहते सुव्यवस्थित घर केवल रूपए के बल पर बन सकेगा? क्या इन्हें परंपरागत व्यवसायों में बनाए रखने के लिए प्रोत्साहन नहीं देना चाहिए? क्या इनके काम को आदर से नहीं देखना चाहिए?
.
No comments:
Post a Comment