Sunday, September 25, 2011

सिक्के के दो पहलू


पिछले दिनों एक समारोह में प्रसिद्ध लेखिका सुश्री संतोष श्रीवास्तव से मिलने और उन्हें सुनने का मौका मिला | संतोष जी हिन्दी के प्रचार -प्रसार के सिलसिले में विदेश भ्रमण करती रहती हैं और उन्होंने जापान,फ़्रांस, स्पेन आदि के बड़े ही रोचक अनुभव सुनाए | गर्व की बात यह लगी कि विदेशों में हिन्दी को बड़े सम्मान से देखा जाता है, वहाँ हिन्दी भाषा के शिक्षण हेतु विशेष विभागों की व्यवस्था है, उनके पुस्तकालय हिन्दी की पुस्तकों से अटे पड़े हैं और उसपर विशेष यह कि वे लोग शुद्ध और धाराप्रवाह हिन्दी बोलते है .. यानि हिन्दी को हिंगलिश बनाकर नहीं | ये लोग अपनी राष्ट्रभाषा से बहुत प्रेम करते हैं | इन देशों में अंग्रेज़ी विदेशी भाषा के रूप में ही जानी जाती है और उसके प्रति कोई स्नेह नहीं दिखाया जाता | भारतीय भाषा, पहनावे और खान-पान के प्रति लोगो में बड़ा आकर्षण है और वहाँ बाकायदा भारतीय भोजनालय मिलेंगे जिनके नाम मीरा, कबीर, रामायण, श्री कृष्ण आदि है और वहाँ हिन्दी में गीत ,भजन आदि सतत चलते रहते हैं | वह के लोग यह आने पर बड़े निराश होते हैं क्योंकि एयरपोर्ट पर लगे सारे होर्डिंग उन्हें अंग्रेज़ी में लिखे मिलते हैं .. यह तक कि टैक्सी वाले भी हिन्दी शब्द जैसे दूतावास , सचिवालय नहीं समझते | उन्हें इनका अंग्रेज़ी शब्द बताना पड़ता है |
मैं यह सब सुनकर अभिभूत हुई और सोचा इसे एक लेख की शक्ल देकर स्थानीय समाचार पत्र में भेजती हूँ | लेख भेजने पर सम्बंधित अधिकारी का फोन आया ," भारती जी, आलेख तो बढ़िया है, मगर हिन्दी दिवस तो चला गया है.. क्या अगले हिन्दी दिवस के लिए संभालकर रख लूं ?"
मैं हतप्रभ थी.. मेरे देश में मेरी अपनी भाषा का गौरवगान करने के लिए भी सिर्फ एक दिन ?
भारती पंडित

1 comment:

  1. हिंदी भाषा के लिए
    बस एक दिन,,, या एक पखवाड़ा... !!
    आजकल चर्चा तो यही रही चहुँ ओर...
    खैर
    एक अच्छा संस्मरण सांझा किया आपने .
    पिछले दिनों (१३/९ से १५/९)
    श्रीनाथद्वारा, उदयपुर (राजस्थान) में
    हिंदी दिवस को एक उत्सव की तरह मनाया गया
    मन आनंदित रहा , सब देख/सुन कर .
    जय हिंदी....जय नागरी .

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