Friday, March 18, 2011

kavita

इस बार होली पर

रंगों से दिल सजा लूं इस बार होली पर
रूठों को अब मना लूं इस बार होली पर |

इक स्नेह रंग घोलूँ आंसू की धार में
पानी ज़रा बचा लूं इस बार होली पर |

अपनों की बेवफाई से मन है हुआ उदास
इक मस्त फाग गा लूं इस बार होली पर |

रिश्तों में आजकल तो है आ गई खटास
मीठा तो कुछ बना लूं इस बार होली पर |

उम्मीद की कमी से फीकी हुई जो आँखें
उनमें उजास ला दूं इस बार होली पर|

भारती पंडित
इंदौर






1 comment:

  1. भारती जी सुंदर अभिव्यक्ति बधाई और शुभकामनाएं |

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