वेलेंटाइन डे
चारों ओर वेलेंटाइन डे की धूम मची हुई थी. दुकाने, मॉल दुल्हन की तरह सजे थे. परफ्यूम में सने, कौलेज गोइंग युवा नए-नए परिधानों में सजे
हाथों में हाथ डाले यहां-वहां घूम रहे थे.
मॉल के सामने का एक पार्क भी उतना ही आबाद था. बैंचों पर , झाडियों के पीछे हर तरफ युवा जोड़े कबूतरों के जोड़े से गुटर-गूं कर रहे थे. ऐसा ही एक जोड़ा बैंच पर बैठा था. लड़की के हाथों में डोमिनोज का बड़ा सा बर्गर था, लड़के के हाथ में कोर्नेटो का आइसक्रीम कोन.. जिसे वे आपस में मिल बांटकर खा रहे थे.
अचानक दो फटेहाल बच्चे उनके सामने आ खड़े हुए.." दीदी , बापू मर गया है, माँ दो दिन से बीमार है.. हमने दो दिन से कुछ नहीं खाया है.. कुछ खाने
को दे दो ना.." बच्चा बेबसी से बोला.. बच्ची ललचाई नजरों से आइसक्रीम की ओर देख रही थी.
" चल हट.. चले आते है जाने कहां -कहां से .." जोड़े का सारा वेलेंटाइन मूड हवा हो गया था. हिकारत भरी नजरों से बच्चों को देखकर उठने ही वाले थे कि सामने मौल में हलचल मच गई.. " शाहरुख खान आ गए... जोर से हल्ला हुआ.. शायद नए बने मल्टीप्लेक्स का उदघाटन करने शाहरुख़ खान पधारे थे..लड़का-लड़की ने झटपट अपने हाथ का बर्गर और आइसक्रीम बैंच पर पटक दी और मौल की ओर भाग चले.
दोनों बच्चों ने लपककर बर्गर और आइसक्रीम कोन उठा लिया.. मुंह से लगाने ही वाले थे कि एक और नंग-धडंग बच्चा वहां आ पहुंचा..,
"मुझे भी भूख लगी है.. मैं भी खाउंगा "
बच्चे ने कुछ सोचा और झटपट बर्गर और कोन के तीन हिस्से कर दिए.. खाते-खाते तीनों के चहरे ख़ुशी से दमक रहे थे.
वेलेंटाइन डे का असली अर्थ वे बच्चे ही समझ पाए थे शायद...
भारती पंडित
इंदौर
bahut khoob....loved the story
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