कविता
इस बार दिवाली पर
इस बार दिवाली पर
घर को खूब सजाना,
झिलमिल दीपों से दमकाना ,
बस एक दीप सहेज लेना
उस अंधेरी दहलीज़ के लिए
जिसका मासूम चिराग
हाल ही में बुझ गया है .
इस बार दिवाली पर
खूब खुशियां मनाना ,
मिलना और मिलाना ,
बस कुछ पकवान सहेज लेना
उस घर के बच्चों के लिए
जिनका त्योहार भी जूठन पर मनता है.
इस बार दिवाली पर
अपने घर की पूजा के साथ
माँ लक्ष्मी का आह्वान करना ,
हे माँ इस दिवाली पर
उस मजदूर बस्ती में भी जाना ,
जहां गरीबी करती है तांडव ,
चरित्र -संस्कार चढ़ते हैं भेंट भूख की ,
आशा की उजास वहां भी फैलाना ,
माँ , उस बस्ती में भी जाना .
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भारती पंडित
३०१, स्वर्ण प्लाज़ा
स्कीम ११४-१, पावर हाउस के पास
प्लाट ११०९ ,ए.बी.रोड
इंदौर
मोबाइल :9926099018
कविता
आओ ज्योत जलाए
आओ हर दहलीज़ पर
जगमग ज्योत जलाएं .
गहन निराशा के तम में
एक आस किरण दमकाएं .
अज्ञान-अशिक्षा के तम को
शिक्षा की लौ से दूर भगाएं .
हिंसा में तपते जीवन को
शान्ति वृक्ष की छांव दिखाएं .
दुःख से बंजर बनते घर को
नंदन वन सा महकाएं ,
आओ ज्योत जलाएं.
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Very good poems Bharati ji :)
ReplyDeleteur poems are very fine....congrates..
ReplyDeletewww.amarjeetkaunke.blogspot.com