Thursday, October 28, 2010

kavita

माँ तो बस माँ ही होती है

बच्चो को भरपेट खिलाती खुद भूखी ही सोती है

माँ तो बस माँ ही होती है .

बच्चों की चंचल अठखेली देख देख खुश होती है

बचपन के हर सुन्दर पल को बना याद संजोती है

माँ तो बस माँ ही होती है .

देख तरक्की बच्चों की वो आस के मोती पोती है

बच्चों की खुशहाली में वो अपना जीवन खोती है

माँ तो बस माँ ही होती है .

बच्चों की बदली नज़रों से नहीं शिकायत होती है

जब-जब झुकता सर होठों पर कोई दुआ ही होती है

माँ तो बस माँ ही होती है .

भारती पंडित


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